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मापामास्वर
३ सामान्यभूत से। २०६ प्रासन भत-सामान्यभत की अकर्मक क्रिया से आगे ये चिन्ह अर्थात हूं हे हे हे हे। हे कर्ता के बचन और पुरुष के अनुसार लगाने से आसन्नभूत क्रिया वनती है परंतु सकर्मक क्रिया से आगे कर्म के वचन के अनुसार हे वा तीनों पुरुष में पाना है । नेसे में बोला हूं त बोला हे मैंने घोड़ा देखा है मैंने घोड़े देखे हैं तुमने घोड़ा देखा है तुमने घोड़े देखे हैं इत्यादि ॥
२१० पूर्णभूत-सामान्यभूत क्रिया के आगे था के लगाने से पर्णभत क्रिया हो जाती है। जेसे मेंने खाया था तने खाया था में बोला था तू बोला था आदि । ____ २११ संदिग्धभूत-सामान्यभूत क्रिया के आगे होना इस क्रियाकेभविप्यतकाल सम्बन्धी रूपों के लिङ्ग वचन के अनुसार लगाने से संदिग्धभत
की क्रिया हो जाती है । जैसे मैंने देखा होगा तूने देखा होगा आदि । ___ २१२ चेत रखना चाहिये कि आकारान्त क्रिया में लिङ्ग और वचन के कारण भेद तो होता है परंतु पुरुष के कारण विकार नहीं होता। आकारान्त पुल्लिङ्ग क्रिया हो तो एकवचन में ज्यों की त्यों बनी रहेगी परंतु बहुवचन में एकारान्त हो जाती है स्त्रीलिङ्ग के एकवचन में ईकारान्त हो जाती है और बहुवचन में सानुनासिक ईकारान्त हो जाती है ॥
२१३ यदि आकारान्त क्रिया के साथ प्राकारान्त सहकारी क्रिया अर्थात था हो तो दोनों में लिङ्ग और वचन का भेद पड़ेगा परंतु स्त्रीलिङ्ग के बहुवचन में केवल इतना विशेष है कि पिछली क्रिया के अंत्य स्वर के ऊपर साननासिक का चिन्ह लगा देना चाहिये ॥
२१४ आकारान्त छोड़ के और जितनी क्रिया हैं उन सभी के रूप दोनों लिङ्ग में ज्यों के त्यों बने रहते हैं उनके लिङ्ग का बोध इस रीति से होता है कि यदि की पुल्लिङ्ग हो तो क्रिया भी पुल्लिङ्ग और जो कता स्त्रीलिङ्ग हो तो क्रिया भी स्त्री लङ्ग समझी जायगी। . ___ २१५ नीचे के चक्र में क्रिया के संपर्ण रूपों के अंत्य अक्षर काल लिङ्ग वचन और पुरुष के अनुसार लिखे हैं उन्हे धातु से लगाकर किया बना लो।
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