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२ क्रिया के धातु के अन्त में आ कर देने से सामान्यभूत काल की क्रिया होती है। जैसे धातु खाल और सामान्यभूत भूतहे खाला ऐसे ही सर्वच समझो * २०२ ये तीन अर्थात धातु हेतुहेतुमद्भुत और सामान्यभूत क्रिया के संपूर्ण रूप के मुख्य भाग हैं इस कारण कि इन्हीं से क्रिया के सब रूप निकलते हैं । जैसे
૧ धातु से संभाव्यभविष्यत सामान्यभविष्यत विधि और पूर्बका - लिक क्रिया निकलती हैं ॥
२ हेतुहेतुमद्भूत से सामान्यवर्त्तमान अपूर्णभूत और संदिग्धवर्त- . मान क्रिया निकलती हैं ॥
भाषाभास्कर
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सामान्यभूत से श्रासन्नभूत पूर्णभूत और संदिग्धभूत को क्रिया निकलती है। जैसा. नीचे क्रियावृक्ष में लिखा है ।
Tullhinet
सामान्यवर्त्तमान
हेतुहेतुमद्वत
संदिग्धवर्त्तमान 'सामान्यभविष्यत विधि और पूर्वकालिक संभाव्यभविष्यत
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धातु
सामान्यभूत
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संदिग्धभूत
* नो धातु स्वरान्त हो तो सामान्यभूत क्रिया के बनाने में उच्चारण के निमित्त धातु के अन्त में या लगा देते हैं और जो धातु के अन्त में ई वा ए होवे तो उसे ह्रस्व कर देते हैं। नेसे धातु खा और सामान्यभूत खाया वैसे ही पी पिया छू छूया दे दिया धो धोया आदि जानो ॥
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