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माषाभास्कर
६० यदि ककार से परे घोष अन्तस्थ वा स्वर वर्ण रहे तो प्रायः के स्थान में ग होगा। जैसे
दिक् + गज = दिग्गज वाक् + दत्त = वागदत्त दिक् + अम्बर = दिगम्बर वाक् + ईश = वागीश
धिक् + याचना = धिगयाचना ६८ यदि किसी वर्ग के प्रथम वर्ग से परे सानुनासिक वर्ण रहे । प्रथम वर्ण के स्थान में निज वर्ग का सानुनासिक होगा । यथा
प्राक् + मुख = प्राङ्मुख वाक् + मय = वाङ्मय जगत् + नाथ = जगन्नाथ उत् + मत्त = उन्मत्त
चित् + मय = चिन्मय ६ यदि च ट प वर्ण से परे घोष अन्तस्थ वा स्वर वर्ण रहे तो प्रायः च के स्थान में ज और ट के स्थान में ड वा ड़ और प के स्थान में ब हो जाता है। जैसे
अच + अंत = अजंत षट् + दर्शन = षड्दर्शन अप + भाग = अबभाग
अप + जा = अब्जा ०० यदि ह्रस्व स्वर से परे छ वर्ण होवे तो उसे च सहित छ होता है और ना दीर्घ स्वर से परे रहे तो कहीं २ । जेसे
परि + छेद = परिच्छेद अव + छेद = अवच्छेद वृक्ष + छाया = वृक्षच्छाया गृह + छिद्र = गृहच्छिद्र लक्ष्मी + छाया = लक्ष्मीच्छाया
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