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भाषाभास्कर
अथ द्वितीय अध्याय ॥
अध्याय ॥
संधि प्रकरण ।
५२ प्रायः प्रत्येक भाषा में कहीं २ ऐसा होता है कि दो अक्षर निकट होने से परस्पर मिल जाते हैं उनके मिलने से जो कुछ विकार होता है उसी को संधि कहते हैं ॥
५३ संस्कृत भाषा में सब शब्द संधि के आधीन रहते हैं और हिन्दी में संस्कृत के अनेक शब्द आया करते हैं उनके अर्थ और व्युत्पत्ति समझने के लिये हिन्दी में संधि का कुछ ज्ञान आवश्यक है ।
अब संधि के मुख्य नियम जो हिन्दी के विद्यार्थियों को काम आवे उन्हें लिखते हैं ॥
५४ संधि तीन प्रकार की है अर्थात स्वरसंधि व्यंजनसंधि और विसर्गसंधि॥
५५ स्वर के साथ स्वर का जो संयोग होता है उसे स्वरसंधि कहते हैं॥
५६ व्यं जन अथवा स्वर के साथ व्यंजन का जो संयोग होता है उसे व्यंजनसंधि कहते हैं । ____५० स्वर और व्यंजन के साथ जो विसर्ग का संयो.. होता है उसे विसर्गसंधि कहते है ॥
१ स्वरसंधि ।
५८ स्वरसंधि के पांच भाग हैं अर्थात दीर्घ गुण वृद्धि यण और अयादि चतुष्टय ॥
१ दीर्घ । ___५६ जब समान दे। स्वर ह्रस्व वा दीर्घ एकटे होते हैं तो दोनों को मिलाकर एक दीर्घ स्वर कर देते हैं। यह बात नीचे के उदाहरण देखने से प्रत्यक्ष हो जायगी
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