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भागाभास्कर
() और माघ.कृत के पांच गण है .र्थ.त ट ठ ड ढ ण इन में - मात्रा का टगण और पांच मात्रा का ठगण और चार माचा का डगण . । चार तीम मात्रा का ढगण और दा माचा का णगण होता हे ॥ ___(6) और टगण के तेरह भेद हैं और ठ के आठ और ड के पांच घोर ढ के तीन और गण के दो भेद हैं ॥
जेसे छ माचा के टगण का उदाहरण । ___ इसकी यह रीति है कि गुरु हैतो ऊपर नीचे दोनों ओर अंक देता जाय और लघु के ऊपर ही लिखे जिसका क्रम यह है कि पहिले एक लिखे फिर दो फिर एक और दो को मिलाके तीन लिखे फिर दो और तीन मिला के पांच लिखे फिर तीन और पांच मिलाके पाठ लिखे फिर पांच और आठ मिलाके १३ लिखे इसी प्रकार पर्व पर्व का अंक जोड़ता ज.य अन्त में जो अंक पावें उतने ही जाने । जेसे १३८ १ २ ३ ५ ८ १३
555 । । ।।। । (८) प्रस्तार बनाने की यह रीति है कि प- २ ५ १३ हिले सब गुम् रखना फिर पहिले गुरु के ऽ ऽ ऽ नीचे लघु लिखना और आगे जैसा ऊपर । । ss हो वैसा ही लिखता जाय जो मात्रा बचे । ऽ । ऽ ठसे पीछे गुरु लिखकर लघु लिखे यदि ।। ।। एक ही मात्रा बचे तो लघु ही लिखे दो । । । बचे तो १ गुरु लिखे तीन बचे तो गुरु ऽ । ऽ। लिखके लघु लिखे चार बचे तो दो 55 ।।
गुरु लिखे पांच बचे दो गुरु लिखके लघु । । ।। लिखे इत्यादि । फिर उसके नीचे जा । 5 ।।। पहिला गुरु हो तो उसके नीचे लघु लिखे ।।।।।
प्रागे ऊपर के समान जो बचे सो पूर्वोक्त । ।।।।। रीति से लिखे इसी प्रकार जब तक सब लघु न हो जायं तब तक बराबर लिखता चला जावे। जेसे कि पृष्ठ की दहिनी ओर पर लिखा
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