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[३] मैला करे वह भी पुद्गल, साफ करे वह भी पुद्गल
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सब देख लो। अतः अगर हमने एक कचरा देखा तो कहना है कि इसे साफ कर दो! फिर दूसरा भी दिखा देना है कि 'भाई, यह नहीं हुआ है'। हम हैं बताने वाले। अर्थात् आत्मा नहीं बताता। यह तो, आत्मा की प्रज्ञा नाम की जो शक्ति है, वह बताती है।
पुद्गल करता रहेगा और हमें देखते रहना है। हमें बताते रहना है कि 'देखो यह रह गया है। अतः हम अगर कह देंगे तो हम शुद्ध हो जाएँगे। फिर वह करेगा तो वह शुद्ध हो जाएगा।
प्रश्नकर्ता : हम कहेंगे तो हम शुद्ध हो गए...
दादाश्री : शुद्ध हो गए लेकिन अगर वह करेगा तभी हम शुद्ध हो सकेंगे। वह शुद्ध हो जाएगा तो हम शुद्ध हो जाएंगे।
प्रश्नकर्ता : इसमें 'हम' कौन है? हम अर्थात् किसे शुद्ध करने का कह रहे हैं आप?
दादाश्री : हम अर्थात् शुद्धात्मा को ही। एक तरफ आत्मा है और एक तरफ पुद्गल। प्रज्ञा खुद अहंकार से क्या कहती है ? 'जितने आप शुद्ध हो गए, उतने ही आप आत्मा में आ गए।'
प्रश्नकर्ता : यानी अहंकार को करना है।
दादाश्री : अहंकार अर्थात् पुद्गल और आत्मा दोनों इकट्ठे हो गए हैं, वह ! वह पुद्गल कर्ताभाव से मिला है और आत्मा ज्ञाताभाव से! अतः अगर खुद का ज्ञातापन रहेगा तो वह छूट जाएगा और पुद्गल का कर्तापन रहेगा तो वह छूट जाएगा।
प्रश्नकर्ता : दोनों ही छूट जाएँगे। दादाश्री : अत: यह तो दीये जैसी बात है। दिखाने में क्या जाता है? प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : मैंने आपको कुछ दिखाया, तब आपका कर्तापन छूट