________________
[१] प्रज्ञा
दादाश्री : उनके पास ‘जो' आते हैं, 'उनकी' प्रज्ञाशक्ति।
प्रश्नकर्ता : 'उनके पास जो आते हैं', मूलतः वह ऐसी जो कल्पना करते हैं या उन्हें ऐसा आभास होता है तो वह उनका खुद का ही हुआ न? आपको तो जब बताया तभी पता चला कि आप वहाँ पर गए थे।
दादाश्री : वह तो, अगर उनके भाव होंगे तो मिल जाएगा। उस शक्ति को देर नहीं लगती। सामने वाले का भाव हो तो शक्ति पहुँच जाती है। यहाँ से अमरीका भी पहुँच जाती है।
प्रश्नकर्ता : अर्थात् यह जो आपकी प्रज्ञाशक्ति है, वह तो वीतराग भाव से है। जो भाव करते हैं, खिंचकर उनके पास चली जाती है।
दादाश्री : खिंचकर चली जाती है। और क्या? जिनका भाव मज़बूत होता है, खिंचकर उनके पास चली जाती है।
प्रश्नकर्ता : क्या आपको पता चल जाता है कि वह खिंचकर चली गई?
दादाश्री : मैं क्यों ध्यान रखता फिरूँ?
प्रश्नकर्ता : नहीं! ध्यान नहीं रखते फिर भी पता चल जाता है क्या?
दादाश्री : नहीं।
प्रश्नकर्ता : यों दिखाई नहीं देता? आपके ज्ञान में यों दिखाई नहीं देता?
दादाश्री : दिखाई देता है लेकिन अगर हम ध्यान रखें तब न! हम उस तरफ क्यों ध्यान रखें? कितने ही लोगों की फिल्में हैं, उसमें मैं कहाँ ध्यान रखू और कब उसका अंत आए?
प्रश्नकर्ता : ऐसा करने की क्या ज़रूरत है? देखते रहना है। दादाश्री : उसमें तो बल्कि इन्टरेस्ट आ जाएगा। ऐसा है कि