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________________ १८३ १८४ १८९ १९१ १९२ १९३ १९३ १९५ १९६ १९७ १९८ १९९ २०१ २०२ निज शुद्धत्व में नि:शंकता १५२ सूझ उससे अलग शंका रखने जैसा है ही कहाँ १५३ कॉमनसेन्स सर्वांगी 'डीलिंग' पुद्गल की, 'खुद'... १५४ ....और बुद्धि, सूझ, प्रज्ञा जहाँ प्रेम है, वहाँ पर नोंध नहीं १५६ सभी ‘तालों' की चाबी... भूलें खत्म करनी हैं, ..... १५९ संसार में सीखो इतना ही 'नोंध' तो बंधवाए बैर १५९ शिकायत? नहीं, एडजस्ट जहाँ व्यवस्थित, वहाँ नोंध नहीं १६१ 'डाउन' के साथ 'लेवलिंग' लेकिन वह संसार में ही.... १६१ अभेदता ऐसे साधी जाती है तो टूटे आधार संसार के १६२ कच्चे कान के नहीं बनना..... सहमत नहीं, तो छूट गए १६४ वेल्डिंग, सूक्ष्म जोड़ 'नोंध करने वाले' से 'हम' अलग १६५ वेल्डिंग करवाने वाले... बदलते कर्मों की नोंध क्या? १६६ 'भाव' में कमी मत रखना नोंध लेने का आधार १६७ पहले से ही सूझ वेल्डिंग.. अभिप्राय देने का अधिकार १६८ वेल्डिंग, एक कला जहाँ नोंध वहाँ पुद्गल सत्ता ही १६९ वेल्डिंग से सर्वत्र आनंद नोंध : अभिप्राय १६९ ज्ञानी की मौलिक बातें जागृति की ज़रूरत है, नोंध... १७१ तोड़ते सभी हैं, जोड़ता... जहाँ नोंध वहाँ मन डंकीला १७२ [४] ममता : लालच 'ज्ञानी' का सर्वांग दर्शन १७३ कीचड़ से दूर ही अच्छे वीतरागता की राह पर... १७३ निरपेक्ष जीवन देखे ज्ञानी के _ [३] कॉमनसेन्स : वेल्डिंग ममता नाम मात्र को भी नहीं। 'कॉमनसेन्स' की कमी १७४ संपूर्ण निर्ममत्व वहाँ परमात्मपन 'एवरीव्हेर एप्लिकेबल' १७४ वही लक्षण ममता के 'कॉमनसेन्स' का प्रमाण १७६ ममता का विस्तार व्यवहारिकता रहित १७७ ममता बाउन्ड्रीसहित अहंकार डाउन, तो... १७७ फैलाई हुई ममता मिलनसारिता से बढ़ता... १७८ रखो ममता लेकिन... सुर मिलाते मिलाते... १७९ मिटाओ ममता समझ से वह टकराव टालता है १८० म्यूज़ियम की शर्ते तो रुके स्वच्छंद १८१ साइकोलॉजिकल इफेक्ट ही सरलता से बढ़ता है कॉमनसेन्स १८२ ममता के बिना भी सबकुछ.. सोल्यूशन कॉमनसेन्स से १८२ लालच के परिणाम स्वरूप... जहाँ स्वार्थ, वहाँ पूर्णता.. १८३ ऐसा स्वभाव, फिर भी सूक्ष्म... २०२ २०३ २०३ २०४ २०४ २०६ २०६ २०८ २०९ २१० २१२ २१४ २१६ २१८ २१८ २१९ 47
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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