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________________ ४१२ आप्तवाणी-९ अतः यह विज्ञान ही सारे दोष निकाल देगा वर्ना अन्य कोई विज्ञान दोष नहीं निकाल सकता। फिर से कहीं ऐसा ताल नहीं मिलेगा इसलिए सावधान होकर काम करना अच्छा। मन में खुद अपने आप 'लेवल' नहीं निकालना है। नहीं तो इंसान अटक जाएगा। खुद अपने आप ही 'लेवल' मत निकालना। दूसरे निकालें, तभी काम का। प्रश्नकर्ता : मन में वह 'लेवल' किस बारे में? दादाश्री : इसी में। इस मोक्षमार्ग में हर कोई खुद का 'लेवल' निकालकर बैठा है लेकिन वह बिल्कुल गलत होता है, उसमें एक अक्षर भी सही नहीं होता। अगर 'लेवल' मानकर बैठ जाए तो वहीं पर ठहर जाएगा व्यक्ति। अभी तो, गाड़ी को पटरी पर से उतरने में देर ही नहीं लगेगी। इतनी कमजोरियों में इसे पूर्णता पर लाना है तो सब समझना पड़ेगा। सब से पहले तो कपट ही चला जाना चाहिए। यह तो जो अपना नहीं है, वहीं पर सारी शक्ति खर्च हो जाती Tic प्रश्नकर्ता : और फिर कपट से उसी को वापस ढंकना! दादाश्री : हाँ, उसी को ढंकना। कुछ भी अपना नहीं है फिर भी उसका पक्ष लेता है। 'अरे, तय किया है कि अपना कुछ नहीं है, फिर भी उसका पक्ष ले रहा है?' तब वह कहता है, 'भूल गया।' प्रश्नकर्ता : वह भूल जाता है या फिर अभी तक पक्ष नहीं छूटा? दादाश्री : पक्ष नहीं छूटा है। भूल गया तो वह यों ही कहता है, उतने समय के लिए लेकिन पक्ष नहीं छूटता न! इसलिए सावधान हो जाओ, हर तरह से सावधान हो जाओ, बहुत सावधान रहना है। प्रश्नकर्ता : वह सही है। आज मोक्षमार्ग का ध्येय तय हुआ है,
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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