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________________ [७] खेंच : कपट : पोइन्ट मैन ४०५ अब यदि किसी भी प्रकार की बाधा या आपत्ति नहीं हो, तब अखंड ज्ञान बरतता है। यह तो अखंड जागृति का मार्ग है। ___ 'पोइन्ट मैन,' मोक्षमार्ग में... ___यहाँ तो ऐसा है न, पोइन्ट न बहुत होते हैं तो हमें गाड़ी दिल्ली ले जानी हो तो न जाने कौन से गाँव चली जाए! इसलिए अपने 'पोइन्ट' से ही बात करते रहना। यहाँ तो कितने सारे पोइन्ट मैन हैं! गाड़ी 'मेन लाइन' पर जाए तो नहीं लुटती। पटरी बदली कि लुट जाती है। लुट जाएगी और फिर न जाने कौन से गाँव ले जाएगी उसका कोई ठिकाना नहीं। इसलिए पोइन्ट मैन पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करना चाहिए। उसके साथ चाय-पानी शुरू करेंगे तो फिर गाड़ी ऐसे पटरी बदल देगी न! प्रश्नकर्ता : इस मोक्षमार्ग में पोइन्ट मैन किसे कहते हैं ? दादाश्री : जो आपको पसंद हो वैसा कहे, वह पोइन्ट मैन । आपसे कहे और आप पर असर हो जाए तो समझना कि यह पोइन्ट मैन आया! मनचाहा बोले तो फिर मन भ्रमित हो जाता है अर्थात् पोइन्ट मैन गाड़ी दूसरी पटरी पर चढ़ा देता है, उतनी ही 'स्पीड' से ! फिर भी दूसरी पटरी पर चला जाता है, उसका पता भी नहीं चलता कि मैं दूसरी पटरी पर हूँ। फिर अगर कोई कहेगा कि, "अरे, यह 'रोंग वे' पर कहाँ आ गए?" तब कहेगा, “हमारा ‘रोंग वे' नहीं हो सकता कभी भी!" ऐसा कहता है। प्रश्नकर्ता : इसलिए निरंतर ज्ञानी का आसरा रखने को कहा है न? दादाश्री : नहीं तो क्या ! इसीलिए तो कहा है न, नहीं तो बातबात में पोइन्ट मैन मिल जाएंगे और गाड़ी की पटरी बदल देंगे, एकदम से! तभी फिर ये वापस क्या कहते हैं ? 'हमारी तो राजधानी एक्सप्रेस है!' अरे, लेकिन पटरी बदल गई! राजधानी, तुझे कौन मना कर रहा है?
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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