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________________ [६] लघुतम : गुरुतम होना चाहिए। यह तो मैंने आपको 'रिलेटिव - रियल' की 'लाइन ऑफ डिमार्केशन' डाल दी है, इसलिए आपको परेशानी नहीं है । ३६१ 'रिलेटिव' में लघुतम भाव अब हम क्या कहते हैं ? कि भाई, आपमें यह 'एक्ज़ेक्ट' 'लाइन ऑफ डिमार्केशन' पड़ चुकी है कि इतना 'रिलेटिव' और इतना 'रियल'। और ‘रियल' में ऐसा है, 'रियल' में शुद्धात्मा और 'रिलेटिव' में आपको वे पाँच वाक्य दिए हैं। बाकी सब तो निकाली है। प्रश्नकर्ता : उसका निकाल होता जा रहा है ? दादाश्री : हाँ, अपने आप ही निकाल होता ही रहता है। संडास के लिए राह नहीं देखनी पड़ती। जो राह देखे वह मूर्ख कहलाता है । यानी बाकी सब निकाली है। तो अब क्या बनना है ? प्रश्नकर्ता : लघुतम ! दादाश्री : लघुतम ! बस, इतना ही भाव और 'दादा' की आज्ञा लघुतम भाव में है। इसलिए अब आपको रिलेटिव' में सिर्फ लघुतम होने की ज़रूरत है। यानी 'रियल' और 'रिलेटिव' के बीच 'लाइन ऑफ डिमार्केशन' आए और 'रिलेटिव' में खुद लघुतम बन जाए तो इस संसार के दुःख में भी समाधि रहे, और वही सच्ची समाधि ! आप कितने लघुतम हो गए ? प्रश्नकर्ता : 'दादा' को पता है । मुझे उसके थर्मामिटर का ठीक से पता नहीं चलता। दादाश्री : लेकिन थोड़े बहु लघुतम हो रहे हो ? कितने ? दो आने ? चार आने ? प्रश्नकर्ता : लेकिन ऐसा किस तरह से नापा जा सकता है ? दादाश्री : वह तो किसी के साथ लड़ रहे हो तो पता चल जाएगा कि आप पूरी तरह से लघुतम हो चुके हो या नहीं। अभी तो आप दे
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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