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________________ ३०६ आप्तवाणी-९ वह है मिथ्याभिमान प्रश्नकर्ता : मिथ्याभिमान के लिए कोई उदाहरण दीजिए न! दादाश्री : मिथ्याभिमान अर्थात् क्या? घर भी नहीं हो और फिर कहता है, 'मेरी बहुत सारी जायदाद है।' एक पटेल गाड़ी में बैठे थे। वे हमारे गाँव के ही थे। साथ में कोई गाँव का आदमी होगा। वह अच्छा आदमी था। उसने पूछा, 'चाचा, कहाँ जा रहे हो?' तब उसने कहा, 'भादरण जा रहा हूँ।' 'वहाँ कितने दिन रहोगे?' उस आदमी ने पूछा। तब पटेल ने कहा, 'भाई, रहना तो दसबारह दिन ही है लेकिन दो दिन तो मुझे घर साफ करने में लगेंगे।' 'घर साफ करने में एक-दो घंटे लगते हैं।' उस भाई ने कहा, तब पटेल ने कहा, 'भाई, नीचे का कमरा साफ करने में ही दो-चार घंटे लग जाते हैं, फिर दूसरी मंज़िल, तीसरी मंज़िल। सभी जगह सफाई करनी है और फिर बाथरूम धोने हैं, फलाना धोना है। सौ-डेढ़ सौ गद्दे होंगे, फिर वे सारे साफ करने हैं।' उसने तो यों बड़ी-बड़ी बातें की और वह आदमी भी सुनता रहा। कैसा चित्रण किया! डेढ़ सौ गद्दे! फिर उनकी वाइफ, आकर मुझसे कह रही थी, 'देखो न, ये तो ऐसा कह रहे थे।' तब उसके पति ने मुझसे क्या कहा? 'मैं उस आदमी से यह सब कह रहा था, तो इसने वहाँ मेरी इज़्ज़त बिगाड़ दी। इसने कह दिया कि ऐसा कुछ नहीं है। आप मानना मत।' मैं इज़्ज़त बना रहा था, मैं इज़्ज़त बढ़ा रहा था, जबकि इसने मेरी इज़्ज़त खत्म कर दी।' अरे, इसमें क्या इज़्ज़त बढ़नी थी? किसकी इज़्ज़त बढ़नी थी? यह क्या तूफान! यह मिथ्याभिमान है। किराए के घर में रहना और बड़ी-बड़ी बातें करनी! अरे, कपड़े भी किराए पर ले आते हैं न, फिर? 'हमारे दो बंगले हैं और खेत तो बड़ा है, वो बगीचा है अंदर।' कोट इस्त्रीवाला होता है, लेकिन वह किराए का। अपना कोट धोबी के वहाँ पर हो और धोबी उसे किराए पर दे दे। फिर किसी का पहना हुआ कोट वापस हमें पहनना
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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