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________________ [४] ममता : लालच २४३ अपरिचय हो जाए, तो फिर भूल जाएगा। विस्मृत हो जाएगा। अपरिचय की ज़रूरत है। लालची व्यक्ति को तो रात को दो बजे भी कोई कछ दिखाए तो तैयार! उसे नींद की भी परवाह नहीं होती। जितनी चीजें ललचाने वाली हों वे सभी एक तरफ कर दे, उन्हें याद न करे, याद आएँ तो प्रतिक्रमण करे, तभी वे छूटेंगी। बाकी, शास्त्रकारों ने तो कहा है कि उसका कोई उपाय नहीं है। सभी का उपाय होता है, लालच का उपाय नहीं है। लोभ का उपाय है। लोभी व्यक्ति को तो बड़ा नुकसान हो जाए न, तब लोभ का गुण चला जाता है एकदम से! लालच की खातिर तो दुःख देता है यह तो पूरा दिन लालच और सिर्फ लालच में ही पड़ा रहता है। लालच के कारण जलन होती है। वह यहाँ सत्संग में आता है, उतने समय तक शांति रहती है और इसीलिए तो यहाँ आता है। वर्ना, पूरे दिन लालच में ही पड़ा रहता है। उसके पास 'ज्ञानी' की कृपा भी कुछ नहीं कर सकती। कृपा भी हार जाती है वहाँ तो। लालची यानी धोखेबाज़ ।आज्ञा पालन कर ही नहीं सकता न! कृपा किस तरह उतरेगी फिर? और दुनिया में किसी को सुख नहीं देता है, सभी को दुःख देता है। अपने लालच की खातिर वह किसी को भी दुःख दे देता है। वे सभी दुःख पाने वाले तो एक जन्म के लिए कत्ल होंगे, लेकिन दूसरे जन्म में कहाँ कत्ल होने वाले हैं ? जिसके भाग्य में होगा, उसका एक जन्म के लिए कत्ल होगा। दूसरे जन्म में थोड़े ही कत्ल होना है? ऐसा दुरुपयोग होता नहीं है न प्रश्नकर्ता : उसे उसके लालच से मार पड़ती है न? दादाश्री : बहुत मार पड़ती है। प्रश्नकर्ता : तो वह वापस नहीं मुड़ता है?
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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