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________________ [४] ममता : लालच २०५ प्रश्नकर्ता : लेकिन ऐसा होता है कि ममता के कारण अहंकार होता है और अहंकार के कारण राग होता है ? दादाश्री : नहीं। ममता की वजह से ही यह सब है। 'आइ' (I) किस वजह से रहता है ? 'माइ' (My) की वजह से। वर्ना 'आइ' तो परमात्मा है। 'माइ' अर्थात् ममता। 'आइ' और 'माइ' इनका सेपरेशन हो जाए तो बचा क्या? 'आइ।' और वही परमात्मा है। प्रश्नकर्ता : ऐसा निर्ममत्व सभी में आ जाए तो सभी ज्ञानी बन जाएँगे न? दादाश्री : हाँ। निर्ममत्व हो जाए तो वह ज्ञानी ही हुआ न, फिर! क्योंकि जितने भी तीर्थंकर हो चुके हैं वे सभी निर्ममत्व! वहाँ ममत्व खड़ा नहीं रहता। प्रश्नकर्ता : यह जो ममत्व होता है, वह किस वजह से होता है ? दादाश्री : लालच की वजह से, किसी न किसी लालच के कारण। प्रश्नकर्ता : पिछले जन्म में जो कुछ किया होता है, उसके कारण ऐसा सब होता है क्या? दादाश्री : वह तो आप इस 'ज्ञान' में आने के बाद समझे हो कि यह पिछले जन्म का किया हुआ हैं। संसार के लोगों को तो यह समझ में ही नहीं आता न! वह लालच है उनका। स्पष्ट, खुला लालच दिखाई देता है और जहाँ लालच हो वहाँ पर ममता रहती ही है, अवश्य। हमें लालच पहले से ही नहीं था, मान बहुत था। प्रश्नकर्ता : तो यह जो अहंकार खड़ा है, वह लालच और ममता के कारण ही खड़ा है? दादाश्री : 'माइ' के कारण 'आइ' खड़ा है। नहीं तो 'आइ' 'क्लियर' हो जाए तो परमात्मा ही है। 'आइ' जब तक 'माइ' के साथ है तब तक अहंकार है। जिसका 'माइ' गया, उसका अहंकार गया, वह परमात्मा हो गया! दीये जैसी बात है।
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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