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________________ [२] उद्वेग : शंका : नोंध १६१ रखे बगैर रहोगे? यदि मैं ही नोंध नहीं रखें तो सामने वाला भी मेरी नोंध नहीं रखेगा। मेरी नोंध कौन रखेगा! कुछ डाँ,-करूँ, कुछ भी कहूँ तब भी?! नोंध नहीं रखी तो हो चुका, सबकुछ अपना ही हो गया न! नोंध रखने योग्य नहीं है। जहाँ व्यवस्थित, वहाँ नोंध नहीं यह 'रिलेटिव' ज्ञान भ्रांति वाला है। उसमें से अगर इन सब के लिए नोंध रखें-करें, तो वह नोंध किसलिए रखनी है? तेरी ‘वाइफ' भोजन से पहले ऐसा कह जाए कि, 'आपका स्वभाव खराब है। मैं अब अपने मायके से वापस यहाँ नहीं आऊँगी।' फिर भी हमें नोंध नहीं रखनी चाहिए क्योंकि वह सब 'व्यवस्थित' के ताबे में है न! वह क्या उसके ताबे में है ? वह उसके ताबे में है या 'व्यवस्थित' के ताबे में है ? और वहाँ अब तू नोंध रखे कि, 'ऐसा?! इतना रौब?! चल, मैं देख लूँगा!' तो क्या होगा? हल्दी घाटी का युद्ध शुरू हो गया ! प्रश्नकर्ता : वह ऐसा कहे तो दिमाग़ फट जाएगा, बहुत 'एक्साइटमेन्ट' हो जाएगा। दादाश्री : हाँ, 'एक्साइटमेन्ट' हो जाएगा, और मानसिक लड़ाई शुरू हो जाएगी और मानसिक लड़ाई शुरू हो गई तो फिर मौखिक लड़ाई शुरू हो जाएगी और फिर मौखिक लड़ाई के बाद में कायिक लड़ाई शुरू हो जाएगी। यानी इन सब की जड़ ही, जड़ में से ही खत्म कर दें तो? 'रूट' उड़ा दी कि साफ! इसलिए इस झंझट में पड़ने जैसा है ही नहीं। अतः यह नोंध रखने जैसा है ही नहीं। 'व्यवस्थित' किसे कहते हैं ? कि किसी चीज़ की हम नोंध ही नहीं रखें, उसे कहते हैं 'व्यवस्थित।' नोंध रखें तो उसे 'व्यवस्थित' कैसे कहेंगे? लेकिन वह संसार में ही गहरे उतारे नोंध की ही नहीं जाए, फिर झंझट ही कहाँ रहा? मोक्ष में जाना और नोंध करना, दोनों साथ में नहीं हो सकता न! अब लोग क्या नोंध
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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