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5. अधिक क्या ? श्रीपाल को मिला वो या श्रीपाल ने छोडा वो ?
नवपद-सिद्धचक्र के प्रभाव से श्रीपाल को धन-संपत्ति, वैभव, राज्य, पत्नियाँ आदि कितना-कितना मिला ? यह श्रीपाल कथा के वाचक, श्रोता को पता ही है।
संपत्ति प्राप्ति और वैभविक बातों से बाल जीवों को (अध्यात्म-मार्ग पर नहीं चढे पुद्गल प्रेमी) अन्य कथाओं के बजाय इस कथा में विशेष रस जागता है, पर श्रीपाल-कथा मात्र नवपद आराधना से मिलने वाली संपत्ति का दर्शन करानेवाली ही कथा नहीं है । थोड़ा चिंतन कर गहराई में जाएंगे तो पता चलेगा कि श्रीपाल को नवपद आराधना में जो मिला वो ज्यादा था या मिलने वाला या मिला हुआ अनासक्त भाव से छोड़ा वो ज्यादा था ?
श्रीपाल को कितना मिला यह दिखता है, पर उन्होंने जरुरत के समय भी कितना त्याग किया, यह भी कभी सोचा है ?
१) अपना साम्राज्य पाने के लिए सेना चाहिए, सेना के लिए संपत्ति चाहिए । श्रीपाल संपत्ति पाने के लिए अकेले ही निकले है । मार्ग में आए जंगल में गिरी पर दो साधकों को श्रीपाल के सांनिध्य से रस सिद्धि हुई । साधक वो रससिद्धि श्रीपाल को देने के लिए तैयार हो गए है, पर श्रीपाल सोंचते है कि, साधक कितने समय से महेनत कर रहा हैं, दूसरो की महेनत का मैं नहीं ले सकता । जरा सोचिए ! उपकारी को दी जानेवाली यह स्वर्ण
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श्रीपाल कथा अनुप्रेक्षा