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समपण
जिनकी.. सेवा मे सतत नौ वर्ष रहने का
मौका मिला।
जिनकी... पुण्य-प्रभावक निश्रा से चिंतन शक्ति के
द्वार खूले।
जिन्होंने... सर्वप्रथम संस्कृत में श्रीपाल-कथा पढने के लिए
बाध्य किया।
जिनके... सान्निध्य के प्रभाव से तत्त्वस्पर्शन की कुछ
अनुभूति हुई।
ऐसे... पूज्यपाद् तत्वज्ञ विद्वद् निस्पृही निराशंसी मुनिवर श्री पूर्णानंदसागरजी महाराज के
करकमलो में
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- नयचंद्रसागर
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