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शरीर- प्रेक्षा
वैज्ञानिक आधार
हम जीवन में प्रतिक्षण अपने शरीर के साथ रहते हैं, किन्तु उसके प्रमुख अवयवों के विषयों में हमारी जानकारी अल्प एवं इन अवयवों के क्रियाकलापों के विषयों में अल्पतर होती है। सर्वप्रथम हमें शरीर के विभिन्न तंत्रों की प्रक्रियाओं का ज्ञान प्राप्त करना होगा तभी हम अपने हृदय, फेफड़े और यकृत जैसे महत्त्वपूर्ण अंगों का सम्यक् परिचय कर सकेंगे, उनका गलत ढंग से उपयोग करना छोड़ सकेंगे और उनकी भली-भांति देख-रेख कर सकेंगे।
मानव-शरीर और अंगोपांग खरबों की संख्या में सूक्ष्मातिसूक्ष्म कणिकाओं, जिन्हें कोशिका कहते हैं, कोशिकाओं के द्वारा उत्पादित द्रव्य एवं शरीर के तरल पदार्थों से निर्मित है। यदि शरीर को हम इमारत कहें, तो कोशिका उसकी ईंट है। यानी कोशिकाएं हमारे शरीर की इकाइयां हैं। इन्हें 'जीव - अणु' की संज्ञा भी दी जा सकती है ।
हमारे शरीर में लगभग ६०० खरब (६,००,००,००,००,००,०००) कोशिकाएं होती हैं। प्रायः सभी कोशिकाएं इतनी सूक्ष्म होती हैं कि उन्हें देखने के लिए शक्तिशाली सूक्ष्म वीक्षण यंत्र की अपेक्षा होगी तथा उनके भीतर झांकने के लिए सूक्ष्मतम वीक्षण यंत्र की अपेक्षा होगी। छोटी-से-छोटी कोशिका की लम्बाई चौड़ाई लगभग १/२०० मिलीमीटर होती है और बड़ी से बड़ी कोशिक १/४ मि. मीटर लम्बी-चौड़ी होती है 1
कोशिकाओं को अपना कार्य करने के लिए शक्ति या ऊर्जा (एनर्जी) की आवश्यकता होती है। उसका उत्पादन कोशिकाओं के भीतर रहे हुए सूक्ष्मातिसूक्ष्म ऊर्जा उत्पादन - केन्द्रों (Power-house) में किया जाता है। लगभग सभी ऊतकों में कोशिकाएं जीर्ण होती रहती हैं और उनके स्थान पर नई कोशिकाएं बनती रहती हैं। नई कोशिकाओं का निर्माण जीर्ण कोशिकाओं के विभाजन के द्वारा होता है ।
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