________________
प्रेक्षाध्यान सिद्धान्त और प्रयोग
क्र. सं.
घटना १. दम्पत्ति में से किसी एक की मृत्यु २ तलाक ३. चोट या बीमारी ४. विवाह ५. कार्य से निष्कासन ६. सेवा-निवृत्ति ७. लैंगिक समस्याएं ८. कार्य (व्यवसाय) में परिवर्तन ६. जीवन की स्थितियों में परिवर्तन १०. सोने या आहार सम्बन्धी आदतों में परिवर्तन
यह सूची अपने आप में पूर्ण नहीं है। इनमें दी गई घटनाएं और उनके अंक भी सभी पर समान रूप से लागू नहीं होते, फिर भी यदि किसी भी व्यक्ति के किन्हीं घटनाओं से ३०० अंक प्राप्त होते हैं, तो भयंकर बीमारी की संभावना हो जाती है। १०० से ऊपर अंक आ जाए, तब उपचार की उपायों का सेवन आवश्यक हो जाता है। यह स्पष्ट है कि एक ही परिवर्तन की घटना को झेलना अधिक सरल होगा, किन्तु जीवन इतना सरल नहीं है। व्यक्ति को अनेक परिवर्तनों का युगपत् (एक साथ) सामना करना पड़ता है, वैसी स्थिति में कायोत्सर्ग आदि उपचारात्मक उपायों का सेवन अपेक्षित है।
क्या बचने का उपाय है?
__ आधुनिक औषध-विज्ञान द्वारा प्रदत्त प्रशामक (ट्रेन्क्वीलाइजर्स) गोलियां केवल अस्थायी आराम का आभास कराती हैं, पर लम्बे काल में गोलियां स्वयं बीमारी से भी अधिक खतरनाक बन जाती हैं। तब प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या हमारी वर्तमान युगीन परिस्थितियां और वातावरण के कारण विनाश तक पहुंचना ही हमारे भाग्य में लिखा है या ऐसा कोई रास्ता भी है, जिसके माध्यम से हम अपने आपको कम से कम उस रूप में परिस्थिति के अनुकूल बना सकते हैं, जिससे कि इस दैनिक दबाव के हानिकारक प्रभावों से बच जायें ?
सौभाग्यत. हमारे भीतर एक ऐसी सुरक्षात्मक प्रणाली है, जिसे सक्रिय बनाने पर उस शारीरिक अवस्था का निर्माण किया जाता है, जो "लडो या भागो' वाली प्रतिक्रिया से नितांत उल्टी स्थिति का सृजन कर
Scanned by CamScanner