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याम सिद्धान्त और प्रयास
१०६ याकलता वेदना को नष्ट करने की चेष्टाए, क्रूरता, ईर्ष्या, घणा और स्पन्दन कामकेन्द्र के आसपास अनुभूत होते हैं। वे यहीं उभरते हैं। कामकेन्द्र की चेतना के आसपास ही वे स्पन्दन क्रियान्वित होते है।
चेतना का आन्तरिक स्तर
मन चेतना का आन्तरिक स्तर नहीं है। चेतना की आन्तरिक स्तर है-आवेग, क्रोध, मान, ईर्ष्या, लालच आदि। हमारी वृत्तियां चेतना का आन्तरिक स्तर है। बीमारियां वहां से आती हैं। चरित्र भी वहीं से आता है। मस्तिष्क से चरित्र नहीं आता। चरित्र आता है-वृत्तियों से और वे आती हैं ग्रन्थि-तन्त्र से। ग्रन्थियों का स्थान मस्तिष्क नहीं है। आज तक यही माना जाता था कि मस्तिष्क हमारे शरीर का मुख्य अवयव है। इसी प्रकार हृदय और गुर्दे भी महत्वपूर्ण अवयव माने जाते हैं। किन्तु अब शरीर-शास्रीय नये आविष्कारों ने यह प्रमाणित कर दिया है कि शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अवयव है हमारा ग्रन्थि-तन्त्र-डक्ट्ले स ग्लैंड्स । आवेग, आवेश और भ्रष्ट आचरण-इन सबका निमित्त है-ग्रन्थि-तन्त्र । ग्रन्थि-तन्त्र को प्रभावित किये बिना आदमी को सच्चरित्र, प्रामाणिक नहीं बनाया जा सकता। भ्रष्टाचार को समाप्त करने और जीवन में सच्चाई लाने के लिए ग्रन्थि-तन्त्र को प्रभावित करना होगा। आदमी उपदेशों से सच्चरित्र नहीं होता, जितना वह ग्रन्थि-तन्त्र के स्रावों को बदलने से होता है। यह तथ्य आज अनुभव-सिद्ध हो चुका है। यह नियम ६५ प्रतिशत लोगों पर लागू होता है। कुछेक व्यक्ति, जिनकी चेतना अत्यन्त प्रबुद्ध होती है, वे इसके अपवाद हो सकते हैं। सामान्य रूप से तो यही नियम है कि ग्रन्थि-तन्त्र को बदले बिना आदमी को नहीं बदला जा सकता।
१ लगभग प्रत्येक धर्म की उपासना-पद्धति में उपासना करते समय एक विशिष्ट प्रकार
का आसन और मुद्रा का प्रयोग किया जाता है जिसमें व्यक्ति घुटनों के बल बैठकर हाथें को जोड़कर, मस्तक झुकाकर मस्तक से भूमि पर स्पर्श करता है। मुसलमान नमाज पढ़ते समय, ईसाई चर्च में प्रार्थना करते समय, वैदिक, बौद्धिक, जैन आदि देव-वन्दन या गुरु-वन्दन करते समय लगभग इसी आसन-मुद्रा का प्रयोग करते है। जब कमर को झुकाकर मस्तक को भूमि तक झुकाया जाता है, तब एड्रीनल ग्रन्थि में से अहंकार को पैदा करने वाले हार्मोनों का परिष्कार होता है, उपासक में नम्रता के भाव पैदा होते हैं। अति प्राचीन समय से सार्वभौम रूप में सर्वत्र यह प्रथा प्रचलित है। आसन, मुद्रा एवं भावना के संयुक्त प्रभाव से ग्रन्थियों के हार्मोनों को परिष्कृत करने का यह एक अच्छा उदाहरण है।
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