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चैतन्य-केन्द्र-प्रेक्षा
१०१ एकाग्रता तथा शारीरिक सहनशीलता का विकास भी होता है। इन स्रावों के प्रभाव से शरीर की स्नायविक तथा मांसपेशीय संरचना स्वस्थ और बलवान होती है।
मेडूला : एड्रीनल-मेडूला का समस्त क्रिया-कलाप अनुकंपी नाड़ी-तंत्र के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। भय, दर्द, अधिक शीत का प्रकोप, अल्प रक्तचाप, भावात्मक उद्वेग आदि स्थितियां 'एपीनेफ्रीन' (जिसे 'एड्रीनालीन' भी कहते हैं) और 'नोर-एपीनेफ्रीन' नामक हार्मोनों के स्रावों में निमित्त बनते हैं। उत्तेजना, क्रोध, भय आदि में बार-बार होने पर एड्रीनल ग्रन्थि के एड्रीनालीन संगृहीत करने वाले भण्डार रिक्त हो जाते हैं।
एड्रीनल, पेनक्रियाज, गोनाड्स ग्रन्थियां एवं उनका स्थान
एड्रीनल
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पेनक्रियाज
गोनाड्स -
गोनाड्स
एड्रीनालीन के अभाव में अनिर्णायकता, चिंतातुरता तथा थोड़ा-सा निमित्त पाते ही रोने की वृत्ति आदि लक्षण देखे जाते हैं। ७. गोनाड्स (काम-ग्रन्थियां)
स्त्रियों में मुख्य रूप से गोनाड्स का कार्य डिम्बाशय तथा पुरुषों में वृषण द्वारा किया जाता है। प्रजनन के लिए बीज पैदा करने के अतिरिक्त गोनाड्स अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के रूप में भी कार्य करती हैं। गोनाड्स उन हार्मोनों का स्राव करते हैं जिनके द्वारा स्त्री, स्त्रीत्व प्राप्त करती है और उनमें स्त्रियोचित व्यक्तित्व बना रहता है। दूसरी ओर पुरुषों में इन
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