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अहिंसा दर्शन
(10) मरीजों को गलत जानकारियाँ देकर उन्हें बिना कारण परेशान करना । (11) फर्जी डाक्टर बनकर लोगों को लूटना।
इस प्रकार की अनेक हिंसाएँ चिकित्सा के क्षेत्र में होती हैं। लोग इन्हें भुगतने को मजबूर हैं क्योंकि कोई अन्य विकल्प नहीं है। चिकित्सक के मन में उच्चस्तरीय मानवीय संवेदनाएँ होनी ही चाहिए। धन, जीवन का साधन है। चिकित्सक यदि धन को ही साध्य बनाकर उसके लिए इस पवित्र पेशे के विश्वास को तोड़ने पर उतारू है तो इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति राष्ट्र के लिए कोई और नहीं हो सकती। उपर्युक्त स्थितियों से बचकर चिकित्सक अहिंसाधर्म का पालन कर सकते हैं सिर्फ एक व्रत लेकर चिकित्सक अहिंसा का प्रयोग कर सकते हैं और वह व्रत है -
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'मैं जीवन में कभी कोई भी ऐसा कार्य नहीं करूँगा, जिससे प्रत्यक्ष या परोक्षरूप से मरीज को तन-मन-धन से कोई भी तकलीफ पहुँचे।'
शिक्षा के क्षेत्र में अहिंसा
शिक्षा का क्षेत्र सर्वाधिक व्यापक है। शिक्षा, मनुष्य के मौलिक अधिकार में शामिल है; अतः वर्तमान में शिक्षा के साथ मनुष्य बाल्यकाल से ही जुड़ा रहता है। शिक्षा का क्षेत्र पूर्णरूप से अहिंसक होना ही चाहिए। उदाहरण के रूप में हिंसात्मक शिक्षा पर प्रतिबन्ध है । पाठ्यक्रमों में यदि कोई जानकारी दी जाती है, जिससे गलत सन्देश जाता हो तथा समाज की शान्ति भङ्ग होती हो तो उसे पाठ्यक्रम से हटा दिया जाता है। हमेशा सौहार्द और भाईचारे की शिक्षा दी जाती है।
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शिक्षा के क्षेत्र में निम्न प्रकार की प्रमुख हिंसायें सामने आ रहीं हैं
रैगिंग द्वारा नवागन्तुक छात्र/छात्राओं का शोषण करना ।
अत्यधिक फीस का दबाव कि कर्ज लेना पड़े।