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__चर्चा और परिचर्चा के मध्य जम्बूकुमार ने घर से अभिनिष्क्रमण किया। उसके पीछे आठ कन्याएं, पट्ठारह माता-पिता और ५०१ चोर। बीच में सैकड़ों लोग मिलते हैं, परस्पर पूछते हैं कौन हैं?'
'जम्बूकुमार! दीक्षा ले रहा है।' 'ये सारे कहां जा रहे हैं?' 'ये सब साधु बनने जा रहे हैं।' 'क्या सब साधु बनेंगे?' 'हां, सब साधु बनेंगे। लोग आश्चर्य के साथ मुंह में अंगुली डालते हैं, साधुवाद देते हैं।
लोगों की आकांक्षा, जिज्ञासा, प्रश्न और समाधान के बीच से गुजरते हुए ५२८ मुमुक्षुओं ने सुधर्मा वामी की सभा में प्रवेश किया। ___ आज की विधि प्राचीन विधि से भिन्न है। पहले मुमुक्षु संस्था में भरती होते हैं, फिर प्रतिक्रमण का देश होता है, दीक्षा का आदेश होता है, उसके पश्चात् दीक्षा होती है।
उस युग में न तो कोई प्रतिक्रमण का आदेश हुआ, न पारमार्थिक शिक्षण संस्था में प्रवेश किया। उस ग में पारमार्थिक शिक्षण संस्था ही नहीं थी। न वैरागी बने, न बरनौले खाये। प्रासाद से अभिनिष्क्रमण कया, सुधर्मा सभा में पहुंचे, वंदना की, खड़े हुए, खड़े होकर विनत स्वर में बोले-'भंते! हम सब दीक्षा ना चाहते हैं। आप अनुग्रह करें, हम सबको दीक्षित करें।'
सुधर्मा स्वामी सर्वज्ञ थे। उन्हें सब ज्ञात था। उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ किन्तु दूसरे साधुओं को रूर आश्चर्य हुआ इतने वैरागी एक साथ कहां से आ गये? कभी दस-बीस साथ में दीक्षा होती है और भी बत्तीस एक साथ हो जाती है पर इतने वैरागी, पांच सौ से अधिक वैरागी एक साथ कहां से आये ? साधु-साध्वियों में भी एक फुसफुसाहट शुरू हो गई। जम्बूकुमार साधु बनेगा यह बात तो हमने सुनी किन्तु जम्बूकुमार के साथ इतने लोग दीक्षा लेंगे। यह तो हमने कभी सुना ही नहीं। आज अचानक कैसे गये?
जिज्ञासा थी साधु-साध्वियों में। उन्होंने एक सद्गृहस्थ से पूछा-'भाई! ये सारे कौन हैं?' ___ सद्गृहस्थ ने बताया-जम्बूकुमार है, उसकी आठ पत्नियां हैं, सबके माता-पिता हैं और पांच सौ
गाथा परम विजय की
'अरे! चोर आये हैं दीक्षा लेने के लिए?'
सबका ज्ञान समान नहीं होता, सबका चिन्तन समान नहीं होता। उलझन में पड़ गए चोर और दीक्षा ने आये हैं। कैसे होगा? बड़ी असमंजस की स्थिति बन गई।
सम्राट श्रेणिक के समय की घटना है। अभयकुमार प्रधानमंत्री था। उस समय एक कठिहारे ने दीक्षा । लकड़हारा-जो कल तक जंगल में ईंधन, लकड़ियां काटकर लाता था साधु बन गया। वे मुनि जिधर जाते, लोग आदर सम्मान नहीं देते, कहते-देखो यह लकड़हारा है। लकड़ियां बीनता था, लकड़ियां
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