________________
गाथा परम विजय की
ढाई हजार वर्ष पूर्व के युग में, भगवान महावीर का निर्वाण कुछ समय पहले ही हुआ था। सुधर्मा और जम्बू के युग में उतने साधन कहां थे? बैलगाड़ी, रथ या घोड़ों से जाना, हाथी से जाना। कहां मलयाचल का उन्नत प्रदेश और कहां मगध? सब कुछ विचित्र लग रहा था।
व्योमगति ने कहा-'राजन्! मेरी बहिन मालती की पुत्री का नाम है विशालवती। विशालवती का पति श्रेणिक होगा यह संवाद मिल गया तो मेरे आने का उद्देश्य स्पष्ट हो गया। मैं उद्देश्य लेकर आया हूं, निरुद्देश्य नहीं आया हूं।'
'राजन्! राजा मृगांक विशालवती के परिणय की योजना बना रहा था। उसके विवाह का प्रस्ताव आप तक पहुंचाए, उससे पूर्व एक विचित्र घटना और घटित हो गई। राजा मृगांक चिन्तातुर हो गया।'
सम्राट श्रेणिक 'ओह!' 'राजन्! मलयाचल से आगे है हंसद्वीप।'
जैन रामायण में उल्लेख है-हंसद्वीप दिन आठ रही, आगै चाल्या राम। भगवान राम हंसद्वीप में आठ दिन रहे। वहां से वे लंका गए। लंका पर धावा बोला।
'राजन्! उस हंसद्वीप नगर में रत्नचूल नाम का विद्याधर राज्य करता है। विद्याधर रत्नचूल को कुछ स्रोतों से पता चल गया कन्या विशालवती बहुत सुन्दर है।'
पुराने जमाने में राजा लोग दो बातों पर ज्यादा ध्यान देते थे-सुन्दर कन्या और भूमि। अतीत का इतिहास, लड़ाइयों और युद्धों का इतिहास-स्त्रियों और भूमि को लेकर हुए संघर्ष से भरा है। जर, जोरू और जमीन ये झगड़े के मूल हैं। धन झगड़े का मूल, स्त्री झगड़े का मूल और जमीन झगड़े का मूल। इनके लिए झंझट झगड़े होते रहते हैं। रामायण क्या है? महाभारत क्यों हुआ?
'राजन्! विद्याधर रत्नचूल ने कन्या विशालवती के साथ विवाह का प्रस्ताव भेजा। इस विवाह-प्रस्ताव को राजा मृगांक कैसे स्वीकार करता? विशिष्ट ज्ञानी मुनि के कथन का उल्लंघन करना उपयुक्त नहीं लगा।
प्रार्थयामास सोत्यर्थं, कन्यां तां कमलाननां।
मृगांको न ददौ तस्मै, मुनिवाक्यमलंघयन्॥ राजा रत्नचूल इस अस्वीकृति से आहत हुआ। छोटा राजा है, बहुत शक्तिशाली नहीं है, उसने मेरी मांग को ठुकरा दिया। यह सुनते ही नख-शिख तक ज्वाला लग गई। आवेश में बेभान हो गया। इतना दुस्साहस, इतना अहंकार! मेरी बात को भी ठुकरा दिया। मैं उसे अहंकार का मजा चखाता हूं। आवेश ही तो लड़ाई कराता है। आवेश इतना प्रबल हो गया कि तत्काल आदेश दे दिया-सेना सज्जित करो, रणभेरी बजाओ, चढ़ाई करनी है, राजा मृगांक को जीतना है।
विद्याधर रत्नचूल ने इसे अपना तिरस्कार माना। उसका रोष शतगुणित हो गया। उसने बलपूर्वक विशालवती को पाने का निश्चय किया। सेना को युद्ध करने के लिए मलयाचल की ओर कूच करने का निर्देश दिया। उसकी विशाल सेना चली तब ऐसा लगा जैसे आकाश को ढकती हुई कोई विशाल नर-पंक्ति चल रही है। जहां मृगांक का राज्य है, वहां रत्नचूल की सेना आ गई।
२७