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________________ 64 शिक्षाप्रद कहानिया आदमी भी बैठा है। वह बोला- 'अरे भाई साहब! गर्मी के कारण बहुत प्यास लगी है, जरा पानी तो पिला दो।' इनता सुनते ही वह बोला- 'प्यास तो मुझे भी लगी है। लेकिन, तुम्हें पता नहीं कि मैं अमीरजादा हूँ। मैं भला पानी कैसे निकाल सकता हूँ? अतः तुम ही पानी निकालो और मुझे भी पिलाओ।' यह सुनकर उसने कहा- 'क्या तुम्हें पता नहीं कि मैं नबाबजादा हूँ। फिर भला, मैं कैसे पानी निकालूँ।' और इतना कहकर वह भी वहीं बैठ गया। पहले एक था, अब दो हो गए। कुछ ही समय के बाद वहाँ एक तीसरा नवयुवक आया। उसका भी गर्मी और प्यास से हाल बेहाल था। वह दूर से ही चिल्लाया'अरे! तुम दो-दो आदमी बैठे हो और मैं प्यास से मर रहा हूँ। कुआँ भी है, रस्सी भी है, बाल्टी भी है। अतः तुम मुझे तुरन्त पानी पिलाओं उससे तुम्हें महान् पुण्य की प्राप्ति होगी।' यह सुनकर वे दोनों बोले- 'अरे ओ अंग्रेज! ज्यादा शोर मचाने की कोई जरूरत नहीं है। हम भी यहाँ कोई पिकनिक मनाने के लिए नहीं बैठे हैं। हमारा भी प्यास के कारण बुरा हाल है। मैं अमीरजादा हूँ, पानी नहीं निकाल सकता।' दूसरा बोला- 'मैं नबाबजादा हूँ। अतः मैं भी पानी नहीं निकाल सकता। तुम एक काम करो पानी निकालो। खुद भी पीओ, हमें भी पिलाओं और जिस पुण्य की तुम बात कर रहे थे, उसे भी तुम ही प्राप्त करो।' दो-दो आदमियों की प्यास बुझाने का महान् पुण्य तुम्हें प्राप्त होगा।' इतना सुनते ही तीसरा नवयुवक बोला- 'अरे ओ भाईसाहबो! शायद तुम्हें पता नहीं है कि मैं भी शहजादा हूँ। अतः मैं भी पानी नहीं निकाल सकता।' और अब वे तीन हो गए। तथा, वहीं बैठ गए किसी और की इन्तजार में।
SR No.034003
Book TitleShikshaprad Kahaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKuldeepkumar
PublisherAmar Granth Publications
Publication Year2017
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size477 KB
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