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शिक्षाप्रद कहानिया यह सुनकर राजा बोला- आपका साझीदार कौन है? उसे बुलाइए। गायक बोला- वह कोई और नहीं है। बल्कि, आपका यह पहरेदार ही है। और गायक ने शुरू से अन्त तक सारी बात राजा को बता दी।
यह सुनकर राजा को सारा माजरा समझ में आ गया। और तुरन्त आदेश दिया कि इसे पचास नहीं पाँच सौ कोड़े लगाए जाए, तत्काल प्रभाव से इसे नौकरी से हटा दिया जाए और इसे कैद में डाल दिया जाए। जिससे कि दुबारा कोई ऐसा कुकृत्य करने का साहस न करे।
फिर राजा ने गायक को सौ नहीं अपितु पाँच सौ स्वर्ण-मुद्राएँ देकर खुशी-खुशी विदा किया। जानते हो राजा ने ऐसा क्यों किया, क्योंकि गायक ने अपनी समझदारी से राज्यव्यवस्था में सुधार कर दिया और दोषी को भी पकड़वा दिया। क्योंकि एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है।
२२. निराश नहीं होना चाहिए
बहुत समय पहले की बात है। एक राजा का दूसरे राजा के साथ घमासान युद्ध हो रहा था। देखते ही देखते उस राजा को तथा उसकी सेना को शत्रु सेना ने पराजित कर दिया। इससे इस राजा की सारी धन सम्पत्ति नष्ट हो गई तथा सभी संगी-साथी बिछुड़ गए। कुछ बचा था तो बस अब उसके प्राण बचे थे, इसीलिए शत्रु निरन्तर उसकी तलाश में लगे हुए थे।
वह राजा अपने प्राण बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहा था। उसके मन में बार-बार यही चल रहा था कि अब वह नहीं बचेगा। भागते-भागते वह एक छोटी-सी गुफा में घुस गया। गुफा में घुसने के बाद उसने सोचा शायद अब मैं बच जाऊँ, लेकिन उसका मन बार-बार कह रहा था कि कभी भी शत्रु की तलवार का प्रहार हो सकता है और अब तो कहीं भागा भी नहीं जा सकता। अतः वह बहुत निराश-हताश हो रहा था। लेकिन उसी क्षण उसने देखा- एक मकड़ी गुफा के दरवाजे