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शिक्षाप्रद कहानियां
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गायक- अगर, राजा मेरा गाना सुनकर प्रसन्न हो गए तो वे मुझे ईनाम देंगे।
पहरेदार - तो एक बात सुन लो मैं बिना कुछ लिए -दिए किसी को अन्दर नहीं जाने देता हूँ। अगर तुम यह वादा करो कि इनाम में से आधा हिस्सा मुझे दोगे तो, मैं तुम्हें अन्दर जाने की अनुमति दे सकता हूँ।
गायक ने कुछ देर सोच-विचार कर पहरेदार की शर्त को स्वीकार कर लिया। और पहरेदार ने भी उसे अन्दर जाने की अनुमति दे दी। राजसभा में पहुँचकर गायक ने इतना अच्छा गाना सुनाया कि राजा तो मन्त्रमुग्ध हो गए। और उन्होंने कोषाधिकारी को आदेश दिया- गायक को सोने की सौ मुद्राएं ईनाम में दे दी जाएं।
यह सुनकर गायक हाथ जोड़कर बोला- हे प्रजापालक ! मुझे स्वर्ण-मुद्राएँ नहीं चाहिए । अगर आप वास्तव में ही मुझसे प्रसन्न हैं तो आप मुझे सौ कोड़ों की पिटाई ईनाम में दिलवा दें।
यह सुनकर राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ और उन्होंने गायक से कहा कि यह तुम क्या कह रहे हो? तुम्हे अगर ईनाम में स्वर्ण मुद्राएँ अच्छी नहीं लग रही हैं तो तुम कोई और बहुमूल्य वस्तु ले सकते हो। मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ। और राजा ने उसे यहाँ तक कह दिया कि तुम जो चाहो वो माँग सकते हो। लेकिन, गायक अपनी बात से टस से मस नहीं हुआ। और अन्त में हारकर राजा को न चाहते हुए भी आदेश देना ही पड़ा कि गायक को सौ कोड़े लगाएँ जाए।
अंगरक्षक ने कोड़े लगाने शुरू कर दिए और गायक ने उनको गिनना शुरू कर दिया - एक दो दस बीस तीस.......... चालीस... . पचास और जैसे ही पचास हुए वह बोला- रुकिए, रुकिए ! इस ईनाम में मेरा एक साझीदार (पार्टनर ) और भी है। उसने मुझसे वादा लिया है कि जो भी ईनाम मिले उसमें आधा मेरा होगा। अतः बाकी के पचास कोड़े उसे दे दिए जाएं।