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शिक्षाप्रद कहानिया
अगले दिन वे दोनों फिर अपनी दिनचर्या के अनुसार दाना चुगने निकल गए। और शाम को जब वापिस आए तो उन्होंने देखा सचमुच ही
खेत आज नहीं कटा था। लेकिन, बच्चों ने उन्हें बताया कि खेत का मालिक आज दिन में फिर आया था, और साथियों से कह रहा था मैंने मजदूरों को खेत काटने के लिए कहा था और उन्होंने हाँ भी कर ली थी। लेकिन फिर भी उन्होंने पता नहीं क्यों खेत नहीं काटा।
अतः मैं अब कल अपने रिश्तेदारों को खेत काटने भेजूंगा। इतना सुनना था कि कबूतरी ने घबराकर कबूतर से कहा कि अब तो हमें यह स्थान अवश्य ही छोड़ देना चाहिए।
यह सुनकर कबूतर बोला- तुम बिल्कुल भी चिन्ता मत करो। कल भी यह खेत नहीं कटने वाला। मुझे इसका पूरा विश्वास है। और सचमुच अगले दिन भी खेत नहीं कट सका। लेकिन जब शाम को कबूतर-कबूतरी अपने घोंसले में लौटे तो उनके दोनों बच्चे बड़े चिन्तित
और व्याकुल थे। कबूतर ने जब उन दोनों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा- आज खेत का मालिक पुनः आया था। और कह रहा था कि, मैंने अपने रिश्तेदारों से भी खेत काटने को कहा था लेकिन 'हाँ' कहने के उपरान्त भी वे खेत काटने नहीं आए। अब कल मैं स्वयं आकर ही खेत काँटूगा।
यह सुनकर कबूतरी ने कबूतर से पूछा, क्या अब भी हमें यह स्थान छोड़कर दूसरे स्थान पर चले नहीं जाना चाहिए? कबूतर बोलानहीं अब हमें जरा-सी भी कोताही नहीं करनी चाहिए। तुरन्त यह स्थान छोड़ देना चाहिए।
यह सुनकर कबूतरी बोली- लेकिन एक बात बताओ कि तुम्हें पहले कैसे मालुम था कि यह खेत नहीं कटेगा?
कबूतर बोला- भाग्यवान्! श्रीमती जी! बड़ी ही साधारण और सरल-सी बात है कि कोई भी व्यक्ति तब तक किसी भी कार्य में सफल नहीं हो सकता जब तक वह दूसरों के आश्रित रहता है। उचित