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शिक्षाप्रद कहानिया भयंकर बीमारियों को जन्म दे देगा। अतः हमें कभी भी किसी से द्वेष नहीं करना चाहिए।
१४. कबूतर की बुद्धिमानी
उत्तर भारत के एक गाँव में गेंहू का एक खेत था। एक बार उस खेत में एक कबूतर-कबूतरी के जोड़े ने घोंसला बनाया। उनके साथ दो बच्चे भी रहते थे।
सूर्योदय होने के बाद कबूतर और कबूतरी दाना चुगने उड़ जाते थे और उनके बच्चे वही घोंसले में प्रेमपूर्वक रहते थे। वे दोनों बीच-बीच में आकर अपनी चोंच से उन बच्चों को भी दाने चुगा जाते थे, क्योंकि वे दोनों अभी उड़ने में समर्थ नहीं थे कि स्वयं उड़कर जाएं और दाना चुग सके।
कुछ दिनों के बाद गेंहू की फसल पक गई। खेत के मालिक ने सोचा क्यों न अब फसल को काट लिया जाए। और यही विचार करते हुए वह खेत को देखने आया। उसके साथ दो लोग और भी थे। अतः वह उनसे विचार-विमर्श करने लगा कि फसल अब तैयार है, इसे काट लेना चाहिए। मैं ऐसा करता हूँ कि कल ही मजदूरों को भेजकर इसे कटवा देता हूँ। इतना कहकर वह चला गया।
शाम को जब कबूतर और कबूतरी वापस अपने घोंसले में आए तो दोनों बच्चों ने सारी बात उन दोनों को बतलाई।
यह सुनकर कबूतरी बड़ी ही चिन्तित और व्याकुल हो गई। और कबूतर से कहने लगी, अब तो हमें यह स्थान शीघ्र ही छोड़ देना चाहिए, कहीं दूसरे स्थान पर अपना घोंसला बना लेना चाहिए।
___ यह सुनकर कबूतर बोला- तुम सब चिन्ता मत करो। अभी एकदम हमें कहीं जाने की आवश्यकता नहीं। मेरा ऐसा मानना है किकल तो यह खेत बिलकुल नहीं कटने का।