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राजुल नेमिनाथ के विषाद से पिघले पिघले हृदय से निश्चय के साथ आने वाले समयका पूर्वाभास एक घोषणा की तरह इन बोली में फूट निकला।।
सारथी। रथ मोड़ो और मुझे उस स्थान तक ले चलो।। मेरे विवाह के लिए इतने जीवों की हत्या मुझे स्वीकार
नेमिनाथ का रथ सारथी पशुओं के बाड़े के पास ले जाता है। नेमिनाथ रथ से उतर कर बाड़े के द्वार तक आते है।
में तुम सबका दुख समझता है। सभी में समान आत्मा है। प्राण सभी को
प्यारे होते हैं।
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