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बलिचन्द्र घबड़ा गया। तब तक महामुनि ने तीसरा पग बलि की पीठ पर रख दिया। बलि धराशायी हो गया। देव, मानव और दानव भयमीत हो गये। 'पृथ्वी कांपने लगी। चारों और से क्षमा करो नाथ" के स्वर सुनाई देने लगे।
क्षमा करो
नाथ।
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क्षमा करो नाथ !
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क्षमा
करो
नाथ !
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