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मैं अंजना से विवाह करने के तुरंत बाद उसे त्याग दूंगा जिससे पूरे जीवन भर वह दुखी रहे।
वायुकुमार से अंजना का विवाह हो गया। वायुकुमार अंजना के पास नही। गया। पति द्वारा त्याग दिए जाने के कारण अंजना अत्यंत दुखी रहने लगी।
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हे नाथ ! मैं निरपराध हूँ। मुझे क्षमा करें। मेरा दुख
दूर कीजिए।
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उधर एक दिन लंकापुरी के राजा रावण ने पुंडरीक नगर के राजा वरूण में शत्रुता चल रही थी। एक दिन वरूण के दरबार में राजा का दूत आया।
है दूत ! लंकापति से कहना कि हे विद्याधर ! लंकापति यदि तुझमें बल है तो युद्ध के रावण की आज्ञा है कि
लिए तैयार हो जा। आप उसे प्रणाम करें या फिर युद्ध के लिए तैयार
हो जाय।
इस पर रावण भारी सेना लेकर आया और राजा वरूण के पुंडरीक नगर को घेर लिया। दोनों ओर की सेनाओं में युद्ध शुरू हो गया। हा.. हा.. रावण के
नहीं। अगर इन्होने बहनोई खरदूषण को
खरदूषण को मार दिया हमने पकड़ लिया।
तो अनर्थ हो जायगा। रावण में साहस हो
युद्ध बंद करना ही तो छुड़ा ले।
उचित है।
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जैन चित्रकथा