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सुषमा! तुम्हीं समझाओ मेरी समझ में कुछ नहीं आता।
स्वामी! धर्म राष्ट्रहित में है। जो हृदयों को जोड़ता है वह धर्म है, जो तोड़ता है वह अधर्म है। विदेशी सभ्यता की नकल ही मूल अशांति का
कारण है।
मां। तुम बहुत अच्छी कहानी सुनारही थी। आगे कुन्दकुन्द आचार्य
की कथा सुनाओ।
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