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तो सेठजी दुख सुख का कारण हानिलाम नहीं है, परन्तु में करता हूँ हमारी यह मान्यता ही हमें दुरवी करती है,यही बात ठीक है ना?
हाँ बेटा, अब तुम ठीक समझे।
AVIN/I1111111
देखो पूज्य सहजानन्द जी महाराज ने आत्म-कीर्तन में भी यही तो कहा है" होता स्वयं जगत परिणाम, में जगका करता क्या काम। दूर हटो परकृत परिणाम, सहजानन्दरहूँ अभिराम।।
अब में
भली भांति समझ गया सेठजी
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