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झगड़ा मिटेगा, अवश्य मिटेगा, मेरे भाइयों
जिन,शिव,ईश्वर आदि सब एक आत्मा स्वरुप के ही तो नाम हैं। सब एक सहजशुद्ध आत्मा ही
तो हैं।
कुछ समझ में नहीं आया गुरूजी
कैसे?
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देखो भैया, जो राग, द्वेष, आदि कषायों को जीते सो जिन ; जो स्वयं सुरव स्वरूप है, सो शिव; जो स्वयं अपनी अवस्थाओं के करने में प्रभुहै सोईश्वर अपनी परिणतियों को बनाये सो ब्रह्मा जो स्वयं में रमे सो राम, जो अपनी ज्ञान क्रियाओं से सर्वत्र व्यापक सो विष्णु; जो सर्व ज्ञाता हो सो बुद्ध; पापों को जिसने दूर कर दिया सोहरि नाम भेद
भले ही हो पर वस्तु तो एक ही है ना।
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बात तो आपकी ठीक सी हीजंचती है महात्मन ।
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