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धर्मके लक्षण
दरबार में चक्रवर्ति बैठे है-दोनों देव आते है। चक्रवर्ति को देख कर माथा धुनते है।
क्यों क्या हुआ? परेशान क्यों हो? क्या कोई कमी है मेरे रूप में? क्या मैं सुन्दर नही हं? क्या मेरा रूप तुम्हें नहीं जंचा?
राजन। ऐसी तो कोई
बात नहीं परन्तु जो कल व्यायामशाला में आपका रूप देखाथा वह रूप
अब कहा?
क्या कहते हो? कल जैसा नहीं राजना हमारी जल से लबालब भरा एक कटोरा मंगाया देवो ने, राजा व नहीं है मेरा रूप? अरे उस समय दिव्य द्रष्टि धोखा नहीं अन्य लोगों को दिखाया फिर एकान्त में ले जाकर उस तो मेरे शरीर पर भी धूल लगी खा सकती। हम आपको कटोरे में एक सींक डुबोकर निकाल ली, जिसके साथ एक थी,न दंग के वस्त्र थे, न कोई। (इसका प्रमाण भी दे
बूंद पानी भी निकल गया तन.. आभूषण! आज तो कल के
सकते है। मुकाबले में मैं कहीं अधिक सुन्दर हं। तुमने जांचने में
राजन पानी ज्यों का अवश्य गलती की है।
त्यों है। कटोरे में या कुछ कमी आई है इसमें?
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इसमें पानी बिल्कुल ज्यों कात्यों है कोई कमी नहीं आई इसमें
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