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जैन चित्रकथा महाराज, यह राजरानी अंजना बेचारी गर्भवती
सास ने झूठा लांछन लगा कर इसे घर से निकाल दिया-इसके पति ने 22 वर्ष से इससे मुंह फेर रखा है। क्या अपराध, किया है बेचारी ने?
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जो जो किसी पर पड़ती है वह वह सब उसके। अपने किये कार्यों का ही फल होता है। जो उसे अवश्य भोगना पड़ता है। अंजनाने भी पिछले जन्म में अपनी सौत से क्रोधित होकर 22 पल के लिये जिन प्रतिमा को उसके चैव्यालय से हटाकर उसेदर्शनों से वंचित कर दियाथा, उसी का यह फल है।
तो मुनीराज श्री हां हां क्यों नहीं इसके गर्भ में जो देखो वसंते, मैं क्या कहती थी। जो कुछ अच्छा बुरा होता है क्यों इसके दुखों । जीव है वह इसीभव से मोक्षजाने वह सब हमारे किये कर्मों का ही तो फल है। फिर क्यों किसी का अंत भी आयेगा वाला है। और इसके पति का मिलन
पर कोध करना, क्यों किसी या नहीं? भी शीघ्र ही हो जायेगा। और ऐसा
पर दोषारोपण करना! होना भी इसके पूर्व कर्म काही फल Vठीक कहती हो आप। हैं क्यों कि प्रतिमा जी को हटा- ||अब चलो सामने इस गुफा कर इसने बहुत पश्चाताप किया| में चलें प्रसुति का समय) था और पुनः चैत्यालय में
निकट आ गया है। स्थापन करवा दिया था।
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