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उत्तम क्षमा धर्म
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धर्म के लक्षण
| सास केतुमती क्रोध में भरी पहुंची बहू अंजना के पास और.....
माता जी, जरा मेरी भी तो सुनो ! वह मेरे महल में आये थे! प्रमाण के रूप में देखो यह अंगूठी दे गये है।
हूँ! 22 वर्षो से तो पवन ने तेरा मुंह तक नहीं देखा और तू कहती है वह आया था ढीठ कहीं की, झूठी कहीं की जबान चलाती है। मैं एक पल भी तेरा मुंह नहीं देखना चाहती लेजा अपनी इस दासी वसततिलका को और निकल जा यहां से।
दुष्टा, "यह तुने क्या किया ? कुलकलंकिनी किसको है यह गर्भ ? दूर हो जा मेरी आंखों के सामने से। निकल जा मेरे घर से
शांत हूजिये मां जी, आपकी आज्ञा है तो चली जाती हूँ !
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मालकिन कितनी दुष्ट है तुम्हारी सास! "यह भी नहीं सोचा तेरे पेट में बच्चा है कहां जायेगी तू बेचारी ।
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वंसततिलके ऐसा न कह! उन्होनें मुझे 22 वर्षो तक छोड़े रखा, सास ने घर से निकाल दिया, किसी का भी दोष नहीं है। इसमें ! मैंने अवश्य कोई पाप किया होगा, जिसका फल मुझे ही तो भुगतना पड़ेगा, और कोई भुगतने थोड़े ही आयेगा मुझे किसी के प्रति रंच भी रोष नहीं