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________________ जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में सिंहपुर नगर में इक्ष्वाकुवंशीय राजा विष्णु राज्य करते थे। उनकी महारानी का नाम सुनन्दा था। रात्रि के अन्तिम प्रहर में महारानी सुनन्दा ने हाथी, बैल आदि सोलह स्वप्न देखे। प्रातः काल उसने प्राणनाथ से स्वप्नों का फल सुना। जिससे वह बहुत अधिक प्रसन्न हुई। वह गर्भस्थ बालक का ही प्रभाव था जो उसके गर्भ में आने के छह माह पहले से लेकर पन्द्रह माह तक महाराज विष्णु के महल पर रत्नों की वर्षा होती रही एवं देव कुमारियां महारानी सुनन्दा की सेवा करती रहीं । 32 Als युवावस्था में उन्हें राज्य प्राप्त हुआ। योग्य कुलीन कन्याओं के साथ उनका विवाह हुआ था। उनका राज्य काल सुख से बीतता था। इन्होंने बयालीस लाक वर्ष तक राज्य किया। एक दिन बसन्त ऋतु का परिवर्तन देखकर इन्हें वैराग्य उत्पन्न हो गया, जिससे दीक्षा लेकर तप करने का निश्चय कर लिया। E | गर्भ का समय व्यतीत होने पर फाल्गुन कृष्णा एकादशी के दिन श्रवण नक्षत्र में सुनन्दा देवी के पुत्र रत्न उत्पन्न हुआ। उस समय अनेक शुभ शकुन हुए। देवों ने मेरूपर्वत पर ले जाकर बालक का कलशाभिषेक किया। फिर सिंहपुर प्रत्यावर्तन कर जन्म महोत्सव मनाया बालक का नाम श्रेयांस रखा। राजपरिवार में बड़े प्रेम से उनका लालन पालन होने लगा। पुया अपने श्रेयस्कर नामक पुत्र को राज्य सौंपकर देव निर्मित विमलप्रभा पालकी पर सवार होगर देवों द्वारा मनोहर नामक उद्यान में गये। वहां उन्होंने दिगम्बर दीक्षा ले ली। मौन पूर्वक दो वर्ष व्यतीत होने पर तुम्बुर वृक्ष के नीचे माघकृष्णा अमावस्या के दिन श्रवण नक्षत्र में पूर्णज्ञान प्राप्त हो गया। देवों ने आकर केवल्य महोत्सव मनाया। समवशरण की रचना हुई। आर्य क्षेत्रों में सर्वत्र विहार कर जैन धर्म का प्रचार किया। आयु के अंत में श्री सम्मेद शिखर पर एक महीने तक योग निरोध कर प्रतिमायोग से विराजमान हो गये। वहीं पर श्रावण शुक्ला पूर्णमासी के दिन धनिष्ठा नक्षत्र में मुक्ति मंदिर में प्रवेश किया। देवों ने आकर उनके निर्वाण क्षेत्र की पूजा की। उनका चिह्न गैंडा था । चौबीस तीर्थकर भाग-2
SR No.033222
Book TitleChoubis Tirthankar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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