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________________ उन्होने अपने पुत्र अजित सेन को राज्य भार सौंपा फिर चन जाने को तैयार हो गये। सुप्रभा नाम की पालकी में सवार हो गये। पालकी को मनुष्य, विद्याधर एवं देवगण उठाकर अयोध्या के सहेतुक वन में ले गये। वहां सप्तवर्ण वृक्ष के नीचे विराजमान द्वितीय जिनेन्द्र अजितनाथ ने वस्त्राभूषण उतारकर फेंक दिये। पंच मुष्ठियों से केश उखाड़ डाले। जिस दिन भगवान अजितनाथ ने दीक्षा धारण की थी। उस दिन माघ शुक्ल पक्ष की नवमी थी तथा रोहणी नक्षत्र का उदय था । MIHIN जैन चित्रकथा बारह वर्ष तक उन्होंने कठिन तपस्या की पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन सायंकाल रोहणी नक्षत्र के उदयकाल में 'केलज्ञान' प्राप्त हो गया। देवों ने आकर ज्ञान कल्याण का उत्सव मनाया। अन्त में जब उनकी आयु एक महीना शेष रह गयी तब वे श्री सम्मेद शिखर पर जा पहुंचे चैत्र शुक्ला पंचमी के दिन रोहणी नक्षत्र के उदयकाल में प्रात: के समय मुक्तिधाम को प्राप्त किया। भगवान अजितनाथ के हाथी का चिह्न था। AUA ॥ भगवान श्री सम्भवनाथ जी।। जम्बूद्वीप के पूर्व विदेह क्षेत्र में सीतानदी के तट पर कच्छ नाम के देश में क्षेमपुर नगर में विमलवाहन राज्य करते थे। एक दिन राजा विमलवाहन किसी कारण वश संसार से विरक्त हो गये जिससे उन्हें पांचो इन्द्रियों के विषय भाग काले भुजंगों की तरह दुःखदायी प्रतीत होने लगे। वे बैठकर सोचने लगे। 'यमराज' किसी भी छोटे-बड़े का भेद नही करता है। ऊंचे से ऊंचे एवं दीन से दीन सभी मनुष्य इसकी कराल दंष्ट्रातल के नीचे दले जाते हैं। जब ऐसा है, तब क्या मुझे छोड़ देगा? इसलिए जब तक मृत्यु निकट नहीं आती तब तक तपस्या आदि से आत्महित की ओर प्रवृति करनी चाहिए D NITH ऐसा सोचकर अपने पुत्र विमलकीर्ति को राज्य देकर स्वयं प्रभमुनीन्द्र के द्वारा दीक्षित हो गये। कठिन से कठिन तपस्याओं द्वारा आत्मशुद्धि की दर्शन विशुद्धि आदि सोलह भावनाओं का चिन्तवन किया जिससे उन्हें तीर्थकर पुष्प प्रकृति का बंध हो गया अन्त में समाधिपूर्वक शरीर त्यागकर सुदर्शन नामक विमान में अहमिन्द्र हुए। उन्हें जन्म से ही 'अवधीज्ञान' था। • शरीर में अनेक ऋद्धियां थी। यही अहमिन्द्र आगे चलकर भगवान श्री सम्भवनाथ जी हुए थे। पुण Phon Emeri 15
SR No.033222
Book TitleChoubis Tirthankar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size9 MB
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