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भरत क्षेत्र के यौधेश नामक देश में मन मोहक सुन्दरताओं से परिपूर्ण राजपुर नाम का नगर था जिसका राजा मारिदत्त था। वह सप्त व्यसनी झूठी प्रशंसा एवं यश कीर्ति का चाहने वाला था एक बार राजा चार्वाक मत के कलाचार्य के दर्शन करने गया
प्रणाम हो ऋषिराज !
आटे का मुर्गा
यशस्वी हो, राजन् !