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नगरोधान में
भद्रे । तेरे पुत्र अवश्य होगा, और वह भी बड़ा भाग्यशाली, सुन्दर, गुणवान, जगत में
मान्य,
परन्तु.......
. पुत्र का मुख देखते ही तेरा पति संसार, शरीर, भोगों से विरक्त होकर तपोवन में जाकर निर्ग्रन्थ मुनि दीक्षा ले लेगा । और तेरा पुत्र भी जब किसी मुनिराज के दर्शन कर लेगा तथा उनके वचन सुन लेगा उसी दिन वह भी घर गृहस्थी का त्याग कर देगा ।
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हे महात्मन । मैं बहुत दुखी हूं। कृपया बतलाइये कि मेरे पुत्र होगा या नहीं ?
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...परन्तु क्या महाराज ?
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