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उज्जयिनी नगरी में धार्मिक वसुशील दम्पत्ति धनी सेठ सुरेन्द्रदत्त और उनकी पत्नी यशोभद्रा रहते थे। सर्व प्रकार की विभूति-सोना,चांदी,कोठी बंगला, दास दासियों से वे सम्पन्न थे। एक ही अभाव था उनके जो उन्हें सदैव अशांत बनाये रहता था-उनके कोई पुत्र न था।
तीन दिन में
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हे सखी! यह डोंडीवाला क्या कह रहा है?
एक दिन- नगर में राजा वृषभांक ने डोंडी पिटवाई सेठानी ने डोंडी सुनी।
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नगर के उद्यान में नन दिगम्बर जैन मुनिराज वर्द्धमान पधारे है। उनके दर्शनार्थ चलने के लिएराजा वृषभांक ने डॉडी पिटवाई है।
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