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जैन चित्रकथा अचानक एक मुर्दा लुढ़का औरवीरवती गिर गयी। किंतु उसके होठ कट गए।
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अपने कटे हुए होठों वाले मुंह को कपड़े, से छिपाकर वीरवती वहाँ से भागी।
सहस्रभट चौर फिर उसका पीछा करने लगा।
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वीरवती घर आयी और अपने पति के पास खड़ी होकर चिल्लाने लगी।
दौड़ो-दौड़ो इस पापी ने मेरे होठ काट लिए।