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________________ कनकमाला । अब तो मुझे तभी शांति बहुत उग्रहो मिलेगी, जब मैं उसका उठी रक्तरंजित कटा शीश देख लूंगी। राजा कालसंवर ने अपने सबसे बड़े पुत्र वज्रदंष्ट्र को बुलाया। तुमसब भाई दुष्ट प्रद्युम्न को हम आपके आदेश कहीं एकांत में लेजाकर मार का पालन करेंगे। डालो। उसने बड़ा नीच काम आप निश्चिंत किया है। मैं उसकी सूरत रहें भी नहीं देखना चाहता हागा वजदंष्ट्र और उसके अन्यभाई प्रद्युम्न को बहकाकर जल क्रीड़ा के लिए एक राजा कालसंवर ने रानी को प्रद्युम्न को मरवाने बावड़ी पर से का वचन दिया। गये। प्रयुम्न कुमार को विद्याबल से वजदंष्ट्र और जैसे ही मायावी प्रद्युम्नकुमार बावड़ी में कूदा,राजकुमारों ने उसे डुबाने की कोशिश की अन्य राजकुमारों केमन में किये पाप कापता ( इसे दबोचलो। चल गया। उसने तुरंत अपना मायावी हम इसे यहीं डुबाकर मार डालेंगे। रुप बनाया ! असली प्रद्युम्न कुमार पेड़ पर चद गया और अपने मायावी रुपको बावड़ी में कुढ़ाया अरे प्रद्युम्न! वहां क्या खड़े हो। कूदोन सच बड़ामजा है अभी आया। 1980 S अरे यहक्या हुआ।इस बावड़ी को शिलासे किसने दकादिया जब तट पर केवल एक ही राजकुमार वह राजकुमार राजाकाससंवर पिताजी अनर्थ हो गया। प्रद्युम्नकुमारने रह गया तब असली प्रद्युम्नकुमार कीसभा में पहंचा सभीभाईयों को बावड़ी में कैद कर दिया सनबावड़ी को एक विशालशिला है। मुझे तोकेवल इसलिए छोड़ दिया । सेदक दिया कि आपको रखबरकर सर्व कुषकीजिए मैंने! हा हा हा । तुम (सभी भाईयों की जान खतरे मेंहै महाराज पिताजी के कहने पर मुझे अच्छा। उसकीयह वहअकेले आपके मारने आए थेन! जाओ, मजाल? मैंदेखता हूं वश में नहीं आयेगा (औरजोकुछ मैंने किया है, सेना लेकर जाकर पिताजी को जाइट। बता दो। SNIWANWAR शिला सेद्वार दक जाने सेक को छोड़कर । सारे राजकुमार बावड़ी में कैद होगा। || राजा कालसंवर सेना लेकर बावड़ी की और चल दिया ।
SR No.033213
Book TitlePradyumn Haran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Shastri
PublisherAcharya Dharmshrut Granthmala
Publication Year1987
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationBook_Comics, Moral Stories, & Children Comics
File Size38 MB
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