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रानी यहाअवश्यहीकोई जिनमन्दिर है।या कोई दैत्य रहताहै।अन्यथाहमारा विमान नहींरुकता
मघकूटनगरके राजाकालसंवर अपनी रानी कमक आश्चर्य यह चट्टानठहरिए। मैं अभी विद्याबल मालाके साथ आकाशमार्ग से गुजरे। उसचटान हिलक्यों रहीहैं? अवश्य सेइस चट्टान को हटाती है। पर आते ही उनका विमान अपने आपसक गया। हीइसके नीचे कोई जीव, हेदेव संभव हैयहां कोई चरम
दबा है। धारीरी संकट में हो। हमें देखना चाहिए
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वराजाकालसंवर रानी कनकमाला
केसाथ तक्षक पर्वत पर उतरे। चट्टानकैहटतेहीवहानवजात
इतना सुन्दर शिशुयहां कहां से आया? फिर शिशु दिखाई दिया राजाकालसंवर चट्टान के नीचेदबकर भीमरा नहीं। ने तुरन्त उसे अपनी गोद में उठा लिया। निश्चय ही यह बालक अति विलक्षणहें।
हे देवी, तुम्हारे कोई पुत्र नहीं है। यह पुत्र
तुम स्वीकारो।
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हेस्वामी। अन्य रानियों से आपके पांच सौ पुत्र हैं।यदिआप इसेयुवराजका पद देने का वचन देंतोमें
इसे स्वीकार कर
राजाकानसंबर नेरानीकनक मालाकी शर्त मामली। बालक को लेकर दोनों मेघकूटनगर
आगरा
अपनी नगरी में पहुंचने पर राजा कालसंवरमेसभाधुलाई
मंत्रियों और सभासदों। रानीकनकमाला के गूढ गर्भ था। उसने वन में एक बधाई हो महाराज अति सुन्दर पुत्र कोजन्म दिया है। नवजात शिशु के जन्माल्सवकी
तैयारियां जोर-शोर से की जाए । जैसी आपकी आज्ञा
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नवजात शिशु का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया बालककानाम प्रधुम्नकुमार रखा गया।