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पालकी को लेकर देव पढ़च गये तन में वहां पर वट वृक्ष के नीचे बैठ गये राजकुमार पार्श्वनाथ । वस्त्राभूषण उतार कर फेंक दिये. केशों को हाथ से उखाड़ डाला और बन गये दिगम्बर मुनि....
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एक दिन मुनि पार्श्वनाथ आहार के लिए उठे-पहुंच गये राजा ब्रह्मदत्त के यहां निर्विघ्न आहार हुआ,पंचाश्चर्य हुए उसी समय देवताओं ने पुष्प वृष्टि की
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