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मुक्ति-
कामिक्स ।
वाह !लम्बु छोटे वाह! खूब लम्बी सोची.
क्या रखाक मोची हमारा गुलाल बहुत बड़ा कलाकार है और अच्छा व बड़ा, कलाकार वही हो सकता है, जिसे अपनी कला में
आनन्द आये | देख लेना उमारे मित्र को भी अपने इस कार्य में आनन्द ही आयेगा.
में कहता हूँ कि वह ऐसा नारककरेली क्यों? इससे क्या लाभ १राजा का क्रोध तो दूर
भनि रोने के बाद राजा के खुश) होने में कोई दम नहीं; और. नाराजगी में कोई गम नहीं क्यों का गुलाल वीतरागी हो जायेगा।
हॉ भाई! ज्ञान रूपी कला जिनके उदय में प्रकट टो आती है, वे तो संसार में सहजली वैरागी हो जाते हैं
अब तो में समझ गया आई कि आला
और शरीर का द जान प्रकट होना भी एक कला की है।