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34. लोग यह भीकहते
धन प्राप्ति है कि आपके प्रवचन सुननेसे)
सम्पन्नता आती है।
।। (महत्व की बात तो आत्मा का)
अनुभव है।
आपकोलोग गुरुदेव / मुझसे लोग अध्यात्म सीखते है।) क्यों कहते हैं ? सो गुरुदेव कहते है।
| दिनांक-27-12-77 'आत्मधर्म के / निन्दा तो हम किसी की भी नहीं करते फिर मुनिराजों सं.डॉ. हुकुमचन्द भारिल्ल फिर की निन्दा करने का प्रश्न हीनहीं है।शुद्धोपयोग की स्वामीजी से मिले।
भूमिका में भूलते हुए दिगम्बर पूज्य मुनिराज तो सुना है, आप मुनिराजों को नहीं चलते फिरते सिद्ध है। हमतो उनके दासानुदास है। मानते। उनकी निन्दा करते है ? उनकी चरण-रजलेकर कौन दिगम्बर जैन
अपने को भाग्य शाली नहीं मानेगा?