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मुक्ति कामिक्स
कुछ दिनों बाद विपुलाचल पर्वत पर भगवान महावीर का समवसरण आया। श्रेणिक ने वहाँ जाकर हजारों प्रश्न पूछे।
भगवन् ! मेरे मुनि बनने के भाव क्यों
नहीं होते?
क्योंकि तुमने नरक का बन्ध कर लिया है, परन्तु वहाँ से निकलकर उत्सर्पिणी के प्रथम काल में ('महापद्म' नामक पहिले तीर्थंकर होगे।
उधर राजा बना कुणिक
सोचने लगा।
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यह सुनकर राजा अपने पुत्र कुणिक को राज्य देकर स्वाध्यायादि करने लगा
पिता ने बाल्यकाल में । मुझे जंगल में ] फिकवा दिया था।
फलस्वरूप उसने मंत्री
को आदेश दिया।
एक दिन जब कुणिक भोजन कर रहा था तो...
जाओ! उस दुष्ट को बंदी बनाकर घोर यातना दो...